बॉम्बे हाई कोर्ट में एक पिता द्वारा याचिका दायर की गई है जिसमें पिता ने अपनी बेटी की मृत्यु के मुआवजे के रूप में 1000 करोड़ रुपए की मांग की है। मृतक बेटी के पिता का दावा है कि उनकी बेटी की मौत कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट के कारण हुई थी। यह याचिका दिलीप लुनावत नाम के शख्स ने दायर की है। दिलीप लुनावत की बेटी की मृत्यु 1 मार्च 2021 को हुई थी।
लॉ वेबसाइट बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ता दिलीप लुनावत ने दावा किया है कि उनकी बेटी स्नेहल लुनावत जो एक मेडिकल की छात्रा भी थी, उन्हें सुनिश्चित किया गया कि कोविड वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और शरीर के लिए कोई खतरा नहीं है। एक हेल्थ वर्कर होने के नाते उनकी बेटी को वैक्सीन लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के माध्यम से ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और एम्स के डायरेक्टर पर भी आरोप लगाए हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार ड्रग कंट्रोलर जनरल और एम्स के डायरेक्टर के झूठे नैरेटिव के कारण उनकी बेटी जैसी स्वास्थ कर्मियों को वैक्सीन लेना पड़ा और बाद में राज्य प्रशासन ने भी बिना किसी वेरिफिकेशन के उनके निर्णय को लागू किया। याचिकाकर्ता के अनुसार उनकी बेटी स्नेहल ने 28 जनवरी 2021 को कोरोना की वैक्सीन ली और साइड इफेक्ट के कारण 1 मार्च 2021 को स्नेहल की मृत्यु हो गई।
इसके साथ ही याचिकाकर्ता लुनावत ने तर्क भी दिया है कि 2 अक्टूबर 2021 को केंद्र सरकार की AEFI कमेटी ने स्वीकार किया है कि उनकी बेटी स्नेहल की मौत कोवीशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट के कारण हुई है। याचिका में दिलीप लुनावत ने कहा है कि यह याचिका मेरी बेटी को न्याय दिलाने के लिए दायर की जा रही है और कई लोगों की जान भी बचाने के लिए जिनकी गैरकानूनी गतिविधियों के कारण हत्या होने की संभावना है।
दिलीप लुनावत की याचिका में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और उनके सीईओ अदार पूनावाला, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पार्टनर बिल गेट्स, महाराष्ट्र सरकार ,भारत सरकार, केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्रालय, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया को जवाबदेह बनाया गया है।